वास्तु शास्त्र के हिसाब से South Facing घर बनाते समय क्या क्या ध्यान रखे.
- Namaskar Astro by Acharya Rao
- Sep 22
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वास्तु शास्त्र में South Facing (दक्षिण मुखी) घर को लेकर बहुत भ्रम रहता है। लोग मानते हैं कि दक्षिण मुखी घर अशुभ होता है, लेकिन वास्तव में यह पूरी तरह सही नहीं है। यदि वास्तु नियमों के अनुसार इसका निर्माण किया जाए तो यह घर भी शुभ फल देता है।

नीचे कुछ मुख्य बिंदु दिए जा रहे हैं, जिनका ध्यान रखकर आप साउथ फेसिंग घर बना सकते हैं:
🏠 मुख्य द्वार (Main Entrance)
दक्षिण मुखी घर में मुख्य द्वार दक्षिण दिशा के दक्षिण-पूर्व (Dakshin-Purva / SE quadrant) भाग में होना शुभ माना जाता है।
दक्षिण-पश्चिम (Dakshin-Paschim) हिस्से में दरवाज़ा बनाना अशुभ माना गया है।
दरवाज़े पर तोरण, स्वस्तिक, और शुभ चिन्ह लगाने चाहिए।
🛋️ ड्रॉइंग रूम / लिविंग रूम
लिविंग रूम को उत्तर-पूर्व (ईशान कोण) या उत्तर दिशा में बनाना शुभ रहता है।
इससे घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बना रहता है।
🍳 किचन
किचन को दक्षिण-पूर्व (अग्नि कोण) में रखना सबसे उत्तम है।
खाना पकाते समय व्यक्ति का मुख पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए।
🛏️ बेडरूम
मास्टर बेडरूम हमेशा दक्षिण-पश्चिम (नैऋत्य कोण) में होना चाहिए।
सोते समय सिर दक्षिण या पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए।
🪔 पूजा घर (Pooja Room)
पूजा स्थान उत्तर-पूर्व (ईशान कोण) में रखना अत्यंत शुभ होता है।
पूजा करते समय पूर्व की ओर मुख रखना चाहिए।
🚿 बाथरूम और टॉयलेट
बाथरूम और टॉयलेट को पश्चिम या उत्तर-पश्चिम (वायव्य कोण) दिशा में रखना उचित है।
🏗️ अन्य वास्तु टिप्स
घर का सबसे भारी भाग (जैसे स्टोर रूम, सीढ़ियां आदि) दक्षिण-पश्चिम में रखें।
घर का प्लॉट दक्षिण की ओर ढलान वाला न हो, बल्कि उत्तर और पूर्व की ओर ढलान शुभ माना जाता है।
उत्तर-पूर्व हिस्सा हमेशा हल्का और खुला रखें।
👉 सारांश:दक्षिण मुखी घर बुरा नहीं है, बस इसमें मुख्य द्वार और कमरों की स्थिति का वास्तु अनुसार ध्यान रखना बहुत ज़रूरी है। सही प्लानिंग से ऐसा घर धन, यश और समृद्धि दिला सकता है।
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